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    हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक इलाज ( Ayurvedic treatment of heart attack )


    हार्ट अटैक आज के समय में आम समस्या बन गई है. जब दिल तक खून पहुंचने में दिक्कत होती है तो दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक की आशंका होती है. दिल की बीमारी का इलाज समय से कराना चाहिए नहीं तो यह जानलेवा साबित हो सकती है. दिल की बिमारियों का इलाज महंगा होता है इसलिए आम आदमी इसका खर्चा उठाने में सक्षम नहीं होता है. इलाज के लिए पैसे नहीं होने पर यह और भी जानलेवा होना लाजमी है.
    अनियमित व अनियंत्रित दिनचर्या एवं भोजन, फास्ट फूड का सेवन, अत्यधिक प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन एसिडिटी, गैस, उच्च रक्तचाप, न केवल हृदय रोग बल्कि मोटापा तथा मधुमेह जैसे रोगों के लिए भी जिम्मेदार है।

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    प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से कोलस्ट्रॉल की उत्पत्ति होती है जो रक्तवाहिनी के शिराओं में मोम की तरह जमा होकर रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर सांस लेने में कठिनाई पैदाकर एंजायना पेन को जन्म देता है। इसमें यकृत (लीवर) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है जो प्रोटीन, ग्लूकोज आदि पदार्थों को घुलनशील बनाकर स्वास्थ्य के उपयोगी बनाती है। आर्टी चोक में 60 से 85 प्रतिशत रोगी आयुर्वेद के उपचार तथा खानपान को नियंत्रित कर बिना किसी शल्यक्रिया के आजीवन स्वास्थ्य रह सकते हैं।

    हार्ट अटैक के लिए आयुर्वेदिक उपाय मौजूद हैं जिससे इसका इलाज संभव है.

    हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक इलाज ,,

    योग, आयुर्वेद और घरेलू नुस्खे की सहायता से बिना एंजियोप्लास्टी के लगभग 80% हार्ट अटैक की संभावना को टाला जाता है। इन तरीकों से दिल की दूसरी बीमारियां भी कम हो जाती हैं। दिल का दौरा रोकने के लिए आयुर्वेद में प्रभावी उपायों का उल्लेख किया गया है।

    हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए चिकनाई से पैदा होने वाले एसिड को खत्म किया जाता है, जिससे दिल की बीमारियां जड़ से खत्म हो जाती हैं। दिल का बीमारियां एसिडिटी के कारण होती हैं। एसिडिटी जो पेट से जुड़ी समस्या है, जब यह अधिक बढ़ जाती है तो यह एसिड खून में मिल जाता है। जिससे ब्लड एसिडिटी हो जाती है।
    जब यह एसिडिक ब्लड रक्त वाहिनियों में आगे नहीं बह पाता है, तब ब्लॉकेज की समस्या हो जाती है, जिससे हार्ट अटैक पड़ता है।

    हार्ट अटैक घरेलु उपाय ,,
    हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए ब्लड एसिडिटी को क्षारीय वस्तुएं खाने की सलाह दी जाती है। क्षारीय खाद्य वस्तुएं खाने से खून की अम्लता घट जाती है और ब्लॉकेज खुल जाता है।

    • लौकी एक क्षारीय सब्ज़ी है। लौकी सब्ज़ी, लौकी का रस या कच्ची लौकी खाने से रक्त की अम्लता कम होती है। कड़वी या कसैली लौकी का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • तुलसी की पत्ती में भी क्षारीय गुण होते हैं, जिसे लौकी के जूस में मिलाकर पिया जा सकता है।
    • लौकी और तुलसी के साथ-साथ पुदीना भी क्षारीय गुणों से युक्त है। आप लौकी के जूस में तुलसी और पुदीना मिलाकर अधिक लाभ ले सकते हैं। स्वाद के लिए सेंधा नमक डालकर पीने से कोई हानि नहीं है।
    दिल की बीमारियों के लिए योगासन ,,
    दिल की अनेक बीमारियों का इलाज नियमित योग और प्राणायाम द्वारा भी संभव है। आगे बताए गए 5 प्राणायाम हार्ट प्रॉब्लम के लिए लाभकारी हैं।
    • भस्त्रिका प्राणायाम
    • कपालभाती प्राणायाम
    • अनुलोम-विलोम प्राणायाम
    • भ्रमरी प्राणायाम
    • उदगीथ प्राणायाम

    हृदयाघात के लिए आयुर्वेदिक दवाएं ,,
    •  दिव्य अर्जुन क्वाथ 4-4 चम्म्च खाने के बाद पिएं
    • दिव्य हृदयामृत 2-2 गोली सुबह-शाम खाएं
    • 5 ग्राम दिव्य संगेयासव पिश्ती, 5 ग्राम दिव्य अकीक पिश्ती, 4 ग्राम दिव्य मुक्ता पिस्ती और 2 ग्राम योगेंदर रस मिलाकर मिश्रण बना लें। 60 पुड़िया बनाकर रख लें और सुबह-शाम खाली पेट शहद के साथ 1-1 पुड़िया का सेवन करें। जब दिल की बीमारी घातक हो तो यह उपाय कारगर सिद्ध होता है।
    एक्यूप्रेशर से हार्ट अटैक का इलाज,,
    • हाथ सबसे छोटी उंगली के नीचे गहरी रेखा के ऊपर दबाने से सभी प्रकार के हृदय रोग जैसे छाती में संक्रमण, दिल का दर्द, हृदयाघात, धड़कन बढ़ जाना, हार्ट ब्लॉकेज और कार्डियोवस्कुलर डिसीज में फायदा मिलता है।
    हार्ट अटैक से बचने के घरेलू उपाय ,,

    हृदयाघात और दिल की बिमारियां हर साल लाखों लोगों के लिए जानलेवा साबित होती हैं। रोज़मर्रा के जीवन में कुछ घरेलू उपाय करके दिल की बीमारियों से बचे रह सकते हैं और संभव इलाज भी कर सकते हैं।
    • अर्जुन छाल दिल की सभी बिमारियों में लाभकारी है। अर्जुन छाल की चाय पीने से बहुत फायदा मिलता है।
    • नियमित दलिया खाने से दिल की बिमारियों का खतरा कम हो जाता है।
    • शहद दिल की सेहत का ख़याल रखने के लिए उत्तम औषधि है। रोज़ 1 चम्मच शहद ज़रूर खाएं।
    • सूखा आंवाला और मिसरी को बराबर मात्रा में पीसकर हर रोज़ पानी से साथ 1 चम्मच सेवन करने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
    • खाना बनाने के लिए अलसी के तेल का प्रयोग करें। अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जिससे दिल को ताक़त मिलती है।
    • दिल को स्वस्थ रखने के लिए गुड़ में घी मिलाकर खाना चाहिए।
    • अलसी के पत्ते और सूखे धनिया का काढ़ा बनाकर पीने से भी दिल की कमज़ोरी दूर होती है।

    कैसा हो खानपान  ,,
    • भोजन के साथ अदरक, लहसुन, सोंठ, मिर्च, पीपल, लौंग, तेजपत्ता, सेंधा नमक का उपयोग करें।
    • रात्रि में दूध में उबलते समय छोटी पीपल, जायफल तथा हल्दी का चूर्ण 2-2 ग्राम केशर के साथ डालकर सोने से पूर्व प्रयोग करें।
    • सुबह-शाम अर्जुन नाग केशर, दालचीनी, पुष्कर मूल, जटामासी तथा गुगलू (शुद्ध) शिलाजीत युक्त औषधि रोगी को रोग मुक्त कर दीर्घजीवी बनाते हैं।
    किस का करे परहेज  ,,
    हृदयरोगी मांसाहार, धूम्रपान, शराब, अत्यधिक चाय, कॉफी, फास्ट फूड, जंकफूड, सॉस, तली सब्जियां, चिप्स, डिब्बाबंद भोजन, चीज, खोया, मलाई, मक्खन तथा अंडे की जर्दी, नारियल का तेल, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि से बचें। अपने को हृदय रोग से बचाने हेतु तनाव मुक्त प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। शाकाहार, योग तथा प्राणायाम के जरिए निरोग रह सकते हैं।

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