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    पड़े पीपल पेड़ के धार्मिक गुण और आयुवेर्दिक गुण के बारे में , जो आपकी जिंदगी बदल देगा ,,,


    पीपल वृक्ष वैज्ञानिक नाम: फ़ाइकस रेलीजियोसा (Ficus religiosa) भारत, नेपाल, श्री लंका, चीन और इंडोनेशिया में पाया जाने वाला बरगद, या गूलर की जाति का एक विशालकाय वृक्ष है जिसे भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है तथा अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है। बरगद और गूलर वृक्ष की भाँति इसके पुष्प भी गुप्त रहते हैं अतः इसे 'गुह्यपुष्पक' भी कहा जाता है।

    पीपल का धार्मिक महत्व(Peopal's religious significance) :-
    पवित्र पीपल वृक्ष को अनंतकाल से ही हिंदुओं द्वारा पूजा जाता है, सोमवती अमावस्या व्रत ,, जब अमावस्या (हिंदू कैलेंडर महीने के पन्द्रहवें दिन) हिन्दू कैलेंडर वर्ष में सोमवार को पड़ती है। इस दिन पवित्र पीपल के पेड़ की १०८ बार परिक्रमा कर महिलाएं व्रत रख कर पूजन करती हैं।
    लेकिन पीपल वृक्ष धार्मिक मान्यता के अलावा औषधीय गुणों से भरपूर है तथा अनेक असहाय मानी जाने वाली बीमारियों का पीपल के उपयोग से स्थायी उपचार किया जा सकता है।

    पीपल का औषधिय महत्व(Peopal's medicinal value) :-
    भारतीय उपमहाद्वीप में उगने वाले पीपल वृक्ष को औषधीय गुणों का भंडार माना जाता है तथा इसके उपयोग से नपुंसकता, अस्थमा, गुर्दे, कब्ज, अतिसार तथा अनेक रक्त विकारों का सुगम घरेलू उपचार किया जा सकता है।

     "पीपल की पत्तियों, बीज, छाल, जड़े, तने, टहनियों में औषधीय गुणों का भंडार पाया जाता है। पीपल को प्राचीन भारतीय सांस्कृति काल से ही औषधीय पौधे के रूप में प्रयोग किया जाता है।" पीपल के पौधे के औषधीय उपयोग से कई रोगों का सफल उपचार किया जा सकता है।


    पीपल पेड़ से कुछ महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक उपचार 
    (Some important Ayurvedic treatments from the Peepal tree) :-

    1. सांस की तकलीफ(problem of breath) :-
    • सांस संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या में पीपल का पेड़ आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है. इसके लिए पीपल के पेड़ की छाल का अंदरूनी हिस्सा निकालकर सुखा लें. सूखे हुए इस भाग का चूर्ण बनाकर खाने से सांस संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती है. 
    • अस्थमा - पीपल की छाल तथा पके हुए फलों का अलग-अलग पाउडर बनाकर उसे समान मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण को दिन में 3-4 बार सेवन से अस्थमा रोग से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इसके पत्तों का दूध में उबालकर पीने से भी दमा में लाभ होता है.
    2. दांतों के लिए(For teeth) :- 
    • पीपल की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं, और दांतों में दर्द की समस्या समाप्त हो जाती है. इसके अलावा 10 ग्राम पीपल की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर बनाए गए मंजन का प्रयोग करने से भी दांतों की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं.
    • दांत दर्द - पीपल तथा वट वृक्ष की छाल बराबर मात्रा में लेकर इस मिश्रण बना लें। इस मिश्रण को गर्म पानी में उबाल कर इससे कुल्ला करने से दांत दर्द समाप्त हो जाता है।
    3. विष का प्रभाव कम करें(Reduce the effect of poison) :- 
    • किसी जहरीले जीव-जंतु द्वारा काट लेने पर अगर समय पर कोई चिकित्सक मौजूद नहीं हो, जबपीपल के पत्ते का रस थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाने पर विष का असर कम होने लगता है. 
    • सांप काटने पर - जहरीले सांप के काटे जाने पर पीपल की कोमल पत्तियों के रस की दो-दो बूंदे लें तथा उसकी पत्तियों को चबाएं। उससे सांप के विष का असर कम होगा।
    4. त्वचा रोग(skin disease) :- 
    • त्वचा पर होने वाली समस्याओं जैसे दाद, खाज, खुजली में पीपल के कोमल पत्तों को खाने या इसका काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है.
    • दाद खाज खुजली - 50 ग्राम पीपल की छाल की राख बनाकर, इसमें नींबू तथा घी मिलाकर इसका पेस्ट बना कर इस पेस्ट को प्रभावित अंगों पर लगाने से आपको तुरंत शीतलता प्राप्त होगी। पीपल की छाल की 40 मिलीलीटर चाय के प्रतिदिन सेवन से भी राहत मिलती है , । इसके अलावा फोड़े-फुंसी जैसी समस्या होने पर पीपल की छाल का घिसकर लगाने से फायदा होता है.
    • त्वचा का रंग निखारने के लिए भी पीपल की छाल का लेप या इसके पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा यह त्वचा की झुर्रियों को कम करने में भी मदद करता है. पीपल की ताजी जड़ को भिगोकर त्वचा पर इसका लेप करने से झुर्रियां कम होने लगती हैं.  
    • पीपल की कोमल पत्तियों को चबाने से त्वचा की खारिश तथा अन्य रोगों का उपचार होता है। पीपल की पत्तियों की 40 मिलीलीटर चाय का सेवन भी अत्यंत प्रभावकारी साबित होता है।
    • फटी एड़ियां - फटी एड़ियों पर पीपल की पत्तियों का रस या उसका दूध लगाएं इससे इस समस्या में पूरा उपचार मिलेगा।
    5. घाव होने पर(On wound) :- 
    • शरीर के किसी हिस्से में घाव हो जाने पर पीपल के पत्तों का गर्म लेप लगाने से घाव सूखने में मदद मिलती है. इसके अलावा प्रतिदिन इस लेप का प्रयोग करने व पीपल की छाल का लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है और जलन भी नहीं होती.  
    6. जुकाम होने पर(On the common cold) :- 
    • सर्दी-जुकाम जैसी समस्या में भी पीपल लाभदायक होता है. पीपल के पत्तों को छांव में सुखाकर मिश्री के साथ इसका काढ़ा बनाकर पीने से काफी लाभ होता है. इससे जुकाम जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है.
    7. तनाव कम करे (Reduce stress) :-
    • पीपल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, इसके कोमल पत्तों को नियमित रूप से चबाने पर तनाव में कमी होती है, और बढ़ती उम्र का असर भी कम होता है.
    8. नकसीर (Hemorrhage) :- 
    • नकसीर फूटने की समस्‍या होने पर पीपल के ताजे पत्तों को तोड़कर उसकर रस निकालकर नाक में डालने से बहुत फायदा होता है. इसके अलावा इसके पत्तों को मसलकर सूंघने से भी नकसीर में आराम होता है.
    9. खूनी दस्त अतिसार(Bloody diarrhea) :- 
    • पीपल के कोमल तने, बीज, क्रिस्टल चीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका मिश्रण बना लें तथा दिन में इस मिश्रण को आवश्यकतानुसार 3-4 बार लें। इसके सेवन से खूनी अतिसार बंद हो जाएंगे।
    10. भूख कम लगना(Loss of appetite) :-
    •  पीपल के पके हुए फलों के उपयोग से भूख कम लगना, खांसी, पित्त, रक्त संबंधी विकार तथा उल्टी का स्थायी उपचार संभव है।
    • कब्ज - पीपल के 5-10 फल प्रतिदिन सेवन में कब्ज रोग का स्थाई समाधान होता है।
    11. पेट दर्द(stomach pain) :- 
    • पीपल के पौधे की 2-5 पत्तियों का पेस्ट बनाकर उसे 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर मिश्रण बना लें तथा इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर दिन में 3-4 बार सेवन से पेट दर्द में राहत मिलेगी।
    12. रक्त की शुद्धता(Blood purity) :- 
    • 1-2 ग्राम पीपल बीज पाउडर को शहद में मिलाकर प्रतिदिन दो बार उपयोग से रक्त शुद्ध होता है।
    13. नपुंसक्ता(Impotence) :- 
    • पीपल के फल के पाउडर को आधा चम्मच दिन में दूध के साथ तीन बार लेने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है तथा शरीर बलवान बनता है। पीपल फल, जड़े, छाल तथा शुंगा को बराबर मात्रा में लेकर इसमें शहद मिलाकर खाने से सेक्स ताकत में बढ़ोतरी होती है।
    14. लीवर के रोगों के लिए(For diseases of liver) :-
    •  3-4 ताजा पीपल की पत्तियों को क्रिस्टल चीनी में मिलाकर इसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को 250 ग्राम पानी में मिलाकर मिश्रण को छान लें। इसे रोगी को 5 दिन तक दिन में दो बार दें। यह मिश्रण पीलिया रोग में अत्यंत प्रभावकारी साबित होता है।
    15. हिचकी आने पर(On hiccup) :-
    • 50-100 ग्राम पीपल की छाल का चारकोल बनाकर इसे पानी से बुझा दें। इस पानी के सेवन से हिचकी आनी बंद हो जाती है।
    16. आंखों में दर्द(Eye pain) :-
    • पीपल की पत्तियों के दूध को आंखों पर लगाने से आंखों की पीड़ा कम होगी।

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