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    पड़े आक (मदार) के पत्ते, फूल, फल, ओर जड़ के महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक उपयोग , जो आपके बहुत काम के है ।


    आक (मदार) एक बारहमासी झाड़ी है वानस्पतिक नाम :-कैलोट्रिपोस जाइगैन्टिया (Calotropis gigantea) जिसका अंग्रेजी नाम मदार (madar)  यह एक आयुर्वेदिक पौधा है। इसको मंदार’, आक, ‘अर्क’ और अकौआ भी कहते हैं। आक के फायदे कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए उपयोग किये जाते हैं। यह एक ऐसा चमत्‍कारिक पौधा है इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं। फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक की शाखाओं में दूध निकलता है।
    जिसके पत्‍ते, फल, फूल और इससे निकलने वाले दूध जैसे सभी उत्‍पादों का उपयोग विभिन्‍न प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने में किया जाता है। आप शायद आक शब्‍द से परिचित न हों लेकिन अकऊआ शब्‍द से परिचित होगें। भारत के कुछ क्षेत्रों में इसे अकऊआ के नाम से जाना जाता है।

    कहानियों का भंडार
    आक का धार्मिक महत्व (Religious significance of madar) :-
    शास्त्रों के अनुसार कई धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी बताए गए हैं। कुछ पेड़-पौधे ऐसे हैं जिनसे हम कई चमत्कारिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हमारे घर या घर के आसपास होने पर ही इनका लाभ प्राप्त होता है। इन पेड़-पौधों में आकड़े का पौधा भी शामिल है, यदि यह घर के सामने हो तो बहुत लाभ पहुंचाता है। शास्त्रों के अनुसार आकड़े के फूल शिवलिंग पर चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।


    आकड़े का पौधा मुख्य द्वार पर या घर के सामने हो तो बहुत शुभ माना जाता है। इसके फूल सामान्यत: सफेद रंग के होते हैं। विद्वानों के अनुसार कुछ पुराने आकड़ों की जड़ में श्रीगणेश जी की प्रतिकृति निर्मित हो जाती है जो साधक को चमत्कारी लाभ प्रदान करती है। ज्योतिष के अनुसार जिस घर के सामने या मुख्य द्वार के समीप आकड़े का पौधा होता है उस घर पर कभी भी किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ता ।
    आक के पौधे को लेकर भ्रान्ति (Misconception about madar plant) :-
    आक के पौधे शुष्क, उसर और ऊँची भूमि में प्रायः सर्वत्र देखने को मिलते हैं। इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है, यह मनुष्य को मार डालता है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उल्दी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा उपकार होता है।
    आक में पाए जाने वाले पोषक तत्‍व (Nutrients found in madar) :-
    ए और बी अमीरिन, साइनिडिन-3-रमोगोग्‍लुकोसाइड (Cyanidin-3-Rhamnoglucoside), प्रोसेस्‍ट्रॉल (Procesterol), बी-साइटोस्‍टेरॉल (B-Sitosterol), कैलेक्टिन (Calactin), कैटोक्सिन (Caotoxin), कैलोप्रोपैजेनिन (Calotropagenin), कैलोप्रोपिन (Calotropin), कैलोप्रोपेन (Calotropain), प्रोसेरोसाइड (Proceroside), प्रोसेरजेनिन (Proceragenin) इत्‍यादि शामिल हैं।
    मुख्य रूप से आक की तीन जातियाँ पाई जाती है जो निम्न प्रकार है (Mainly three species of madar are found which are as follows) :-
    1. रक्तार्क (Calotropis gigantean)- इसके पुष्प बाहर से श्वेत रंग के छोटे कटोरीनुमा और भीतर लाल और बैंगनी रंग की चित्ती वाले होते हैं। इसमें दूध कम होता है।
    2. श्वेतार्क (shwetark plant)- इसका फूल लाल आक से कुछ बड़ा, हल्की पीली आभा लिये श्वेत करबीर पुष्प सदृश होता है। इसकी केशर भी बिल्कुल सफेद होती है। इसे 'मंदार' भी कहते हैं। यह प्रायः मन्दिरों में लगाया जाता है। इसमें दूध अधिक होता है।
    3. राजार्क - इसमें एक ही टहनी होती है, जिस पर केवल चार पत्ते लगते है, इसके फूल चांदी के रंग जैसे होते हैं, यह बहुत दुर्लभ जाति है।
    इसके अतिरिक्त आक की एक और जाति पाई जाती है। जिसमें पिस्तई रंग के फूल लगते हैं।
    आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा हैं। कहीं-कहीं इसे 'वानस्पतिक पारद' भी कहा गया है।
    आक पत्ते से आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment with madar leaves) :-
    • जोड़ो के दर्द में उपयोगी -,, जो लोग जोड़ो के दर्द से परेशान हैं उनके लिए आक के पत्‍ते दवा का काम कर सकते हैं। जोड़ो के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप आक की परिपक्‍य पत्तियों को तोड़कर बिना पानी मिलाए पीस लें और एक महीन पेस्‍ट तैयार करें। आप इस पेस्‍ट में आवश्‍यक हो तो थोड़ा सा नमक भी मिला सकते हैं। इस मिश्रण को दर्द वाले जोड़ो पर लगाएं। 2 से 3 दिनों तक नियमित रूप से सुबह-शाम इस मिश्रण का उपयोग करने पर यह जोड़ो के दर्द और सूजन से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
    • बहरापन दूर करे -,, ऐसा माना जाता है कि आक के पत्‍तों से कान के बेहरेपन को दूर किया जा सकता है। इसके लिए आपको पौधे पर लगे हुए पीले पत्‍तों की आवश्‍यकता होती है जो कि सूखने वाले होते हैं। इन पत्‍तों को गर्म करके इनका रस निकालने के लिए निचोड़ें। इससे प्राप्‍त रस की कुछ बूंदों को कान में डालें। यह कान के बेहरे पन को दूर करने में मदद करता है। लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि आपके कान संवेदनशील अंगों में आते हैं इसलिए इस रस का उपयोग करने से पहले किसी जानकार व्‍यक्ति से सलाह लें या फिर अपने डॉक्‍टर से संपर्क करें।
    • सूजन को कम करने में -,, प्राचीन समय से ही आक के पत्‍तों को शरीर की सूजन को दूर करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। आप अपने शरीर की सूजन को दूर करने के लिए आक की 4 से 5 वयस्‍क पत्तियों को इकहट्ठा करें और इसकी चिकनी सतह (ventral side) पर दर्द निवारक किसी भी प्रकार के तेल को लगाकर गर्म करें और सूजन प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। यदि इस उपचार का उपयोग नियमित रूप से 5 से 6 दिनों तक उपयोग किया जाता है जो यह निश्चित रूप से सूजन को कम करने में मदद करती है।
    • आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड़ कर कान में डालने से आधा सिर दर्द जाता रहता है। बहरापन दूर होता है। दाँतों और कान की पीड़ा शाँत हो जाती है।
    • आक के कोमल पत्ते मीठे तेल में जला कर अण्डकोश की सूजन पर बाँधने से सूजन दूर हो जाती है। 
    • तथा कडु़वे तेल में पत्तों को जला कर गरमी के घाव पर लगाने से घाव अच्छा हो जाता है। 
    • पत्तों पर कत्था चूना लगा कर पान समान खाने से दमा रोग दूर हो जाता है। 
    • हरा पत्ता पीस कर लेप करने से सूजन पचक जाती है।
    • बवासीर में -,, जिन लोगों को बवासीर की समस्‍या है उनके लिए मदार का पौधा बहुत ही उपयोगी होता है। बबासीर से छुटकारा पाने के लिए आक की पत्तियों का उपयोग किया जा सकता है। आप आक की पत्तियों को तोड़कर सुखा लें, इन सूखी हुई पत्तियों को जलाकर इसका धुआं (fume) लेने पर बवासीर रोगी को दर्द और खुजली से राहत दिलाता है। यह बवासीर (Hemorrhoids) के प्रभाव को कम करने का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है। बवासीर रोगी को एक बार इस उपाय को जरूर अजमा कर देखना चाहिए। उनके लिए आक फायदेमंद हो सकता है।
    • कोमल पत्ते खाय तो ताप तिजारी रोग दूर हो जाता है।
    • आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है। 
    आक के फूल से उपचार (Treatment of madar flowers) :-

    • अस्थमा में आराम दिलाये -,,यदि आप श्‍वास से संबंधित बीमारी से परेशान हैं जिनमें अस्‍थमा और खांसी भी शामिल है तो आप आक के फूलों का उपयोग कर सकते हैं। यह अस्‍थमा और पुरानी खांसी का सर्तिया इलाज हो सकता है। इसके लिए आप मदार के फूलों को इकहट्ठा करें और इसे छांव (sunshade) में सुखा लें। इन सूखे हुए फूलों को पीस कर पाउडर बना लें और इसमें थोड़ा सा खड़ा नमक (Rock salt) को पीस कर मिला लें। इस मिश्रण को आप ऐसे ही खा सकते हैं या फिर इसे गर्म पानी के साथ मिलाकर पिया भी जा सकता है। इस तरह आक के फूलों का उपयोग कर आप अस्‍थमा (Asthma), खांसी, सर्दी आदि से राहत पा सकते हैं।
    • आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है।
    आक के फल का आयुर्वेद गुण (Ayurveda properties of the fruit of madar) :-
    • तथा मदार के फल की रूई रूधिर बहने के स्थान पर रखने से रूधिर बहना बन्द हो जाता है।
    आक के दूध के उपयोग (Usage of madar Milk) :-
    • त्वचा के लिए -,, दाद, फंगल संक्रमण और किसी कीड़े के काटने के दुष्‍प्रभाव से ग्रसित व्‍यक्तियों के लिए आक का दूध बहुत ही फायदेमंद होता है। आप आक से निकलने वाले दूध का उपयोग कर त्‍वचा की विभिन्‍न प्रकार की समस्‍याओं को दूर कर सकते हैं। इसके लिए आपको केवल आक के दूध को इक्‍हट्ठा करने की आवश्‍यकता है और इस दूध को आप त्‍वचा रोग, दाद (Ringworm), फोड़े या घावों के ऊपर लगाएं। इसमें उपस्थित एंटीऑक्‍सीडेंट आपकी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने और उन्‍हें ठीक करने में मदद करते हैं।
    • आक का दूध लेकर उसमें काली मिर्च पीस कर भिगोवे फिर उसको प्रतिदिन प्रातः समय मासे भर खाय 9 दिन में कुत्ते का विष शाँत हो जाता है। परंतु कुत्ता काटने के दिन से ही खावे
    • आक का दूध पाँव के अँगूठे पर लगाने से दुखती हुई आँख अच्छी हो जाती है।
    • आक के दूध को बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं। 
    • बर्रे काटे में लगाने से दर्द नहीं होता। 
    • चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है। 
    • जहाँ के बाल उड गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं। 
    • तलुओं पर लगाने से महिने भर में मृगी रोग दूर हो जाता है
    • आक के दूध का फाहा लगाने से मुँह का लक्वा सीधा हो जाता है। 
    आक की छाल का उपयोग (Use of bark of madar) :-
    • आक की छाल को पीस कर घी में भूने फिर चोट पर बाँधे तो चोट की सूजन दूर हो जाती है। 
    आक की जड का आयुर्वेदिक उपयोग (Ayurvedic use of the root of madar) :-
    • आक की जड को दूध में औटा कर घी निकाले वह घी खाने से नहरूआँ रोग चला जाता है।
    सफेद आक के फायदे (Benefits of White madar) :-

    • हैजा उपचार में -,, कोलेरा (Cholera) एक घातक बीमारी होती है जो कि एक महामारी की तरह फैलती है। आयुर्वेद के अनुसार हैजा से बचने के लिए आक की जड़ों का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आप आक की जड़ों (Aak root) को अच्‍छी तरह से साफ कर लें। इन जड़ों को सुखा कर पाउडर बना लें। इस पाउडर में अदरक का रस और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां तैयार कर लें। कुछ दिनों तक हर दो घंटों में 1 चम्‍मच पोदीना के रस के साथ एक गोली का सेवन करे। यह हैजा से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
    • बांझपन दूर करे - ,, सफेद आक प्राप्‍त करने में कुछ परेशानी हो सकती है क्‍योंकि यह आसानी से प्राप्‍त नहीं होते हैं। लेकिन इनके फूलों का उपयोग कर महिला बांझपन को दूर किया जा सकता है। इसके लिए आपको सफेद आक के फूलों को तोड़कर इन्‍हें छांव में सुखाएं और इसे पीसकर (Pulverise) पाउडर बना लें। इस पाउडर की 1 से 2 ग्राम मात्रा को प्रतिदिन 1 गिलास गाय के दूध के साथ सेवन करने से महिलाओं में बांझपन (Female infertility) की शिकायत को दूर किया जा सकता है।
    • यौन शक्ति बढ़ाये -,, जिन लोगों को लगता है कि उन्‍हें यौन कमजोरी है उनके लिए मदार के फायदे बहुत अधिक हैं। इस पौधे से निकलने वाले रस का उपयोग यौन स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के लिए टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है। लोग इस जड़ी बूटी को कामोद्दीपक (aphrodisiac) के रूप में उपयोग करते हैं। यदि किसी को यौन स्‍वास्‍थ्‍य में कमजोरी है तो उसे आक का उपयोग करके देखना चाहिए।
    आक के जहरीले गुण से नुकसान (Damage from toxic properties of madar) :–
    आयुर्वेदिक और औषधीय गुणों के साथ-साथ आक में जहरीली (Poisonous) प्रवृत्ति भी होती है। इस पौधे से निकलने वाले दूध में जहर होता है जिसका उपयोग पशुओं को बेहोस करने के लिए किया जाता है। यदि इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो इससे मृत्यु भी हो सकती है।

    "आक के उपयोग से पहले निम्न सावधानी बरतनी चाहिए "
    • आक पौधे के उत्‍पादों का उपयोग करते समय ध्‍यान रखना चाहिए कि इसका दूध आंखों में न आ पाए। यदि इसका दूध आंखों में आ जाए तो यह आंखों की दृष्टि को हानि पहुंच सकती है।
    • अध्‍ययनों से पता चलता है कि यदि आक का अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो यह स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसमें ऐसे रसायन होते हैं जो दिल की कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
    • अधिक मात्रा में सेवन के फलस्‍वरूप यह उल्‍टी, दस्‍त, धीमी हृदय गति, बेहोशी (convulsions) और मृत्यु तक का कारण बन सकता है।
    • यह ज्ञात नहीं है कि आक के धुएं (fume) में सांस लेना सुरक्षित है या नहीं।
    • गर्भावस्‍था और स्‍तनपान के दौरान आक का सेवन करने से बचना चाहिए।
    • यदि आप किसी विशेष बीमारी के लिए दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो आपको आक का इस्‍तेमाल करने से पहले अपने डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।

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