करेला है कई बीमारियों में रामबाण , पड़े और स्वास्थ्य रहे.......!
हिंदी नाम - करेला
अंग्रेजी नाम (English Name) - बिटर-गौर्द (Bitter-Gourd)
वैज्ञानिक नाम (Scientific Name) - मोमोर्डिका चरंशिया (Momordica Charantia)
करेले की पौध संरचना व गुण (Plant composition and properties of bitter gourd) :-
करेला बेल पर लगने वाली सब्जी है। यह आम तौर पर मार्च के अंत में और अप्रैल के शुरू में उत्तर भारत के सब्जी मंडियों में दिखने लगता है। वैसे आजकल किसी भी फल या सब्जी के लिए तय कुदरती महीनों का कोई औचित्य नहीं रह गया क्योंकि अब यह पूरे साल मिलते हैं। फिर भी प्राकृतिक रूप से करेला जायद की फसल का हिस्सा है।
प्रायः सब प्रांतों में इसका रोपण करते हैं। इसकी लता मृदु रोमश होती हैं।
पत्ते -1 से 4.5 इंच के घेरे में गोलाकार, गहरे कटे किनारे वाले एवं 6 से 7 भागों में विभक्त रहते हैं।
फूल - चमकीले पीले रंग के होते हैं।
फल - इसका रंग हरा होता है। जो 1 से 5 इंच लम्बे बीच में मोटे तथा दोनों तरफ नुकीले, त्रिकोणाकृति उभारों के कारण उवद-कावड़ परन्तु पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं।
इसके अंदर बीज होते हैं। करेला पक जाये तो बीज लाल हो जाते हैं। जब तक पकता नहीं तब तक बीज सफेद रहते हैं। सब्जी और औषधि के रूप में इस्तेमाल करने के लिए कच्चा करेला ही ज्यादा मुफीद होता है।
गुण - करेला अपने गुणों के लिए पहले प्रसिद्धि कम पाता रहा है बल्कि अपने कड़ुवे स्वाद के कारण काफी जाना जाता रहा है लेकिन जब तमाम लाइफस्टाइल बीमारियों ने खासकर मधुमेह और रक्तचाप ने बड़ी तादाद में लोगों को दबोचा है तब से करेले को उसके कड़ुवे स्वाद की बजाय मीठे गुणों की बदौलत उपयोग के अलावा सब्जी के रूप में इसका अच्छा खासा उपयोग होता है वहां 15-16 तरीके से करेले बनाने की विधियां मौजूद है। कहने का मतलब यह है कि ज्यादा लोकप्रिय न होने के बावजूद भी करेले में तमाम संभावनाएं लोगों ने सदियों पहले ढूंढ़ ली थीं।
करेले में पाये जाने वाले पोषक तत्व (Nutrients found in bitter gourd) :-
करेला का नाम सुनते ही कड़वेपन का ख्याल आ जाता है। हरे या गहरे हरे रंग की इस सब्जी का स्वाद भले ही मन को न भाए पर इसमें ढेरों एंटीऑक्सीडेंट और जरूरी विटामिन पाए जाते हैं। करेले में प्रचूर मात्रा में विटामिन A, B और C पाए जाते हैं। इसके अलावा कैरोटीन, बीटाकैरोटीन, लूटीन, आइरन, जिंक, पोटैशियम, मैग्नीशियम और मैगनीज जैसे फ्लावोन्वाइड भी पाए जाते हैं। करेला में गंधयुक्त उड़नशील तेल केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन एवं मामोरॉडिसाइन नाम क्षाराभ पाये जाते हैं। बीजों में 32 प्रतिशत विरेचक तेल पाया जाता हैं।
प्रति 100 ग्राम करेले में लगभग 92 ग्राम नमी होती है। साथ ही इसमें लगभग 4 ग्राम कार्बोहाइडेट, 15 ग्राम प्रोटीन, 20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस, 18 मिलीग्राम, आयरन तथा बहुत थोड़ी मात्रा में वसा भी होती है। इसमें विटामिन ए तथा सी भी होती है जिनकी मात्रा प्रति 100 ग्राम में क्रमश: 126 मिलीग्राम तथा 88 मिलीग्राम होती है।
करेले के औषधीय भाग (Medicinal parts of bitter gourd) :-
करेला वृक्ष के प्रयोग करने योग भाग जड़, तना, फूल, फल, पत्ते, फल के जूस, फल का चूर्ण, जड़ का चूर्ण, पत्तों का रस, फल का बीज आदि घरेलू दवाएं में प्रयोग किया जाता है।
करेले के ओषधीय गुण (Medicinal properties of bitter gourd) :-
मनुष्य के लिए करेला परम हितकारी और औषधीय गुणों का भंडार है। भूख को बढ़ाकर करेला हमारी पाचन शक्ति को सुधारता है। पचने में करेला हल्का होता है। गर्मी से उत्पन्न विकारों पर शीतल होने के कारण यह शीघ्र लाभ करता है !करेला बेशक खाने में कड़वा हो, लेकिन इसके गुण बेहद मीठे हैं ! करेला एक ऐसी सब्जी है, जो काफी सारी बीमारियों को दूर रखने में कारगर साबित होती है ! आज हम आपको करेले के फायदों के बारे में बताने वाले हैं !
आइए हम आपको बताते हैं करेले से स्वास्थ को होने वाले कुछ फायदों के बारे में ,,,,
मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी (Useful for diabetics) :-
- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का काम करता है। करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर पीसकर महीन पाउडर बना लें। रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच पाउडर का पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
- एक-चौथाई कप करेले के रस में समान मात्रा में गाजर का रस मिलाकर पीना फायदेमंद होता है।
- 10 ग्राम करेले के रस में शहद मिलाकर रोजाना पीने से मधुमेह नियंत्रण में रहता है।
- 10 ग्राम करेले के रस में 6 ग्राम तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर रोज सुबह खाली पेट पीना लाभकारी है।
- एक करेले को एक कप पानी में अच्छी तरह उबालकर पिएं। आप इसमें हरे सेब का रस, आंवले का रस या 2-3 चुटकी हींग मिलाकर पी सकते हैं।
- रोजाना 5 ग्राम करेले का रस पीते रहने वाले लोगों को डायबिटीज में फायदा दिखने लगता है।
- करेला अन्य औषधियों के समान शरीर के केवल एक अंग या टिशू को ही टाग्रेट नहीं बनाता बल्कि पूरे शरीर के ग्लूकोज मैटाबॉलिज्म पर असर करता है। मधुमेह ठीक करे मधुमेह के लिए भी करेले का जूस काफी फायदेमंद होता है। करेले में इंसुलिन की तरह कई रसायन पाए जाते हैं, जो ब्लड सूगर लेवल को कम करता है। एक असाध्य बीमारी है मधुमेह ‘डायबिटीज’ ।
- करेला मधुमेह के रोगियों के लिए ‘अमृत’ तुल्य है। 100 मिली. के रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है और प्रात: चार किलोमीटर टहलना चाहिए तथा मिठाई खाने से परहेज रखना चाहिए।
- इसमें मौजूद बिटर्स और एल्केलाइड तत्व रक्त शोधक का काम करते हैं। करेले की सब्जी खाने और मिक्सी में पीस कर बना लेप रात में सोते समय लगाने से फोड़े-फुंसी और त्वचा रोग नहीं होते। दाद, खाज, खुजली, सियोरोसिस जैसे त्वचा रोगों में करेले के रस में नींबू का रस मिलाकर पीना फायदेमंद है।
- करेला रक्तशोधक होता है। चर्म रोगी को भी यह लाभकारी है। फोड़े फुंसी तथा अन्य चर्म रोगों पर करेले का रस लगाने से बहुत लाभ होता है।
- प्रतिदिन सुबह-शाम आधा चम्मच रस बराबर मात्रा में शहद के साथ लेने से खून की खराबियों को दूर करता है तथा खून साफ हो जाता है।
- करेला खून की शुध्दि करने में पूरी तरह सक्षम है। यदि त्वचा-रोग हो तो भी रक्त-शुध्दि हेतु करेले का रस कुछ दिनों तक आधा-आधा कप पीना लाभदायक है। इस प्रकार कड़ुवा करेला अनेकों रोगों में औषधि रूप में काम आ सकता है बशर्ते उसे उसी रूप में लिया जाये- रस या सब्जी बनाकर।
- फोड़ा-फुंसी में करेला के स्वरस में पीपर, दालचीनी, चावल को सम्भाग मिलाकर लगाने से फोड़ा-फुंसी में लाभ होता है।
- खुजली में करेला के पत्तों के स्वरस में जंगली बादाम के तेल और पीपर को बराबर मात्रा में मिलाकर शरीर पर लेप करने से खुजली नष्ट हो जाती है।
- दाद रोग में करेला के पत्तों का रस दाद पर लगाने से दाद जड़ से नष्ट हो जाती है।
- करेले के पत्तों को पत्थर पर घिसकर चटनी जैसा बनाकर लेप लगाने से त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं। इससे आग से जलने से होने वाले घावों में भी आराम मिलता है।
- नमी अधिक तथा वसा कम मात्रा में होने के कारण यह गर्मियों के लिए बहुत अच्छा है। इसके प्रयोग से त्वचा साफ होती है। इसके इस्तेमाल से किसी प्रकार के फोड़े-फुंसी नहीं होते।
- चर्मरोग में करेला के पंचांग, दालचीनी, पीपर और चावलों को जंगली बादाम के तेल में मिलाकर त्वचा पर लेप करने खुजली चर्मरोग, त्वचा के रोग नष्ट हो जाते हैं।
- करेला के पत्तों का रस सिर पर लेप करने से पीप वाली फुंसियां मिटती हैं। इसकी जड़ का उबटन महीन फुंसियों पर गुणकारी हैं।
- करेले में मौजूद खनिज और विटामिन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं जिससे कैंसर जैसी बीमारी का मुकाबला भी किया जा सकता है।
- करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के लिए फायदेमंद है।
- यदि पाचन शक्ति कमजोर हो तो किसी भी प्रकार करेले का नित्य सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।
- करेला स्वयं भी शीघ्र पचता है। करेले की तासीर ठंडी होती है। यह पचने में हल्का होता है। यह शरीर में वायु को बढ़ाकर पाचन क्रिया को तेज करता है। इससे पेट साफ होता है।
- गठिया या जोड़ों के दर्द में करेले की सब्जी खाने और दर्द वाली जगह पर करेले की पत्तों के रस से मालिश करने से आराम मिलता है।
- करेले तथा तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर प्रयोग करने से वात रोगी को आराम मिलता है। इस तेल की मालिश करने से गठिया तथा वात के रोग से लाभ होता है
- गठिया रोग में करेला के कच्चे हरे फलों के रस को गर्म करके लेप करने से गठिया रोग में लाभ होता हैं।
- करेले के तीन बीज और तीन काली मिर्च को घिसकर पानी मिलाकर पिलाने से उल्टी-दस्त बंद हो जाते हैं।
- अम्लपित्त के रोगी जिन्हें भोजन से पहले उल्टियां होने की शिकायत रहती है, करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा नमक मिलाकर खाने से फायदा होता है।
- करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।
- करेले का रस और एक नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर में उत्पन्न टॉकसिंस और अनावश्यक वसा कम होती है और मोटापा दूर होता है।
- करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है। करेले में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। यह शरीर के मेटाबोलिज्म और पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
- मोटापा में आधा कप करेले का जूस पानी में बराबर मात्रा में मिलाकर उसमें एक नींबू निचोड़कर प्रातःकाल खाली पेट प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।
- पथरी रोगियों को दो करेले का रस पीने और करेले की सब्जी खाने से आराम मिलता है। इससे पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
- 20 ग्राम करेले के रस में शहद मिलाकर पीने से पथरी गल कर पेशाब के रास्ते निकल जाती है।
- इसके पत्तों के 50 मिलीलीटर रस में थोड़ी-सी हींग मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है।
- पथरी होने पर करेले का रस नियमित सेवन करना चाहिए। इससे पथरी गलकर निकल जाती है।
- पथरी गुर्दे की हो या मूत्राशय की, इसे तोड़कर बाहर निकालने की क्षमता करेला रखता है।
- करेले का रस दिन में दो बार और दोनों समय भोजन में करेले की सब्जी खानी चाहिए।
- पथरी में करेले के हरे पत्तों का रस 35 ग्राम, दही 15 ग्राम, दोनों को मिलाकर पथरी रोगी को पीला दें, उसके बाद 75 ग्राम मठ्ठा पिला दें। तीन दिन पिलकर, फिर तीन दिन दवा बंद कर दें। फिर 4 दिन पिलाकर दवा बंद करें, इस प्रकार 5 दिन तक बढ़ाने से पथरी कट कर गिर जाती है। इसके प्रयोग के समय में केवल खिचड़ी और चावल ही खाना चाहिए।
- हैजे के रोगी को करेले के रस में प्याज का रस और कुछ बूंदे नींबू का रस मिलाकर देना लाभदायक है।
- ताजा करेला कुचलकर, इसमें हल्का, नमक डालकर हैजे के रोगी को दें, 2-3 बार लेने से उल्टी-दस्त बंद हो जाते हैं।
- विसूचिका रोगी में करेला जड़ के 50-110 मिलीलीटर काढ़ा में तिल तेल मिलाकर पिलाने से हैजा रोगी को लाभ होता हैं।
- खूनी बवासीर में एक बड़ा चम्मच करेले का रस शक्कर मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिन तक लें।
- करेले और पत्तों का रस एक चम्मच शक्कर मिलाकर पीने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।
- बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
- खूनी बवासीर में एक बड़ा चम्मच करेले का रस शक्कर मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिन तक लें ने से फायदा होगा
- बवासीर (रक्तार्श/अर्श) में करेला के ऊपरी मोटे भाग का 55-100 मिलीलीटर काढ़ा बनाकर उसमें खंड मिलाकर सुबह-शाम नियमित प्रयोग करने से बवासीर में लाभ होता हैं।
- करेला की जड़ को घिसकर बाड़ी वाले अर्श के मस्सों पर लेप करने से लाभ मिलता हैं।
- सिरदर्द होने पर करेले के रस का लेप लगाने से आराम मिलता है।
- शिरःशूल (सिरदर्द) में करेला के 11-12 मिलीलीटर पत्र रस के साथ थोड़ा गाय का घी और पित्तपापडे का रस मिलाकर सिर पर लेप करने से, पैत्तिक शिरःशूल शीघ्र नष्ट हो जाता हैं।
- मुंह में छाले होने पर करेले के रस का कुल्ला करना फायदेमंद है।
- मुंह में छाले होने पर करेले के रस को गर्म करके उसमें पिसी हुई फिटकरी डालकर कुल्ला करने से छाले खत्म हो जाते हैं।
- मुँह के छाले में करेला के रस में चाक मिटटी मिलाकर मुंह के अंदर धारण करने से मुँह के छाले नष्ट हो जाते हैं।
- करेले के रस में पिसी काली मिर्च अच्छी तरह मिलाएं। यह लेप आंखों के बाहरी हिस्से पर लगाने से रतौंधी की बीमारी दूर होती है।
- इसमें विटामिन ए अधिक होने के कारण यह आंखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छा होता है। जिन लोगों को रतौंधी की बीमारी होती है उन्हें इसका इस्तेमाल करना चाहिए। इसके पत्तों के रस का लेप थोड़ी सी काली मिर्च मिलाकर लगाना चाहिए।
- रतौंधियों में शाम होते ही अचानक दिखना बंद हो जाता है और जैसे ही सुबह सूरज निकलता है आंखें बिल्कुल सामान्य हो जाती है। रतौंधी में करेले का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। करेले में विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में पायी जाती है। जिस कारण इसका इस्तेमाल शरीर में मॉस्चर बनाये रखता है।
- रतौंधी में जंग लगे हुये लोहे के बर्तन में करेला के पत्तों के स्वरस में काली मिर्च का थोड़ा सा हिस्सा घिसकर आँख के आसपास लेप करने से या आँख की कोटर या आंख की पपड़ियों के पास लेप करने से रतौंधी रोग में लाभ होता है।
- एक बड़ा चम्मच करेले के पत्तियों के रस को एक गिलास छाछ में मिलाकर लेने से पेट के कीड़ों से छुटकारा मिल सकता है।
- यह लीवर को ताकत देता है तथा आँतों में कीड़ों से होने वाले विकारों से भी सुरक्षा देता है।
- पेट में कीड़े होने पर इसका रस रामबाण औषधि है। कीड़े होने पर करेले का रस ग्रहण करना चाहिए।
- करेले में फाइबर के गुण पाए जाते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता हैं। साथ ही यह अपच और कब्ज की शिकायत को दूर करता है।
- कब्ज के रोगियों को चाहिए कि इसकी सब्जी नियमित खायें और इसका रस सेवन करें, कब्ज से छुटकारा होगा। करेले की सब्जी खाने से कभी कब्ज नहीं होती यदि किसी व्यक्ति को पहले से कब्ज हो तो वह भी दूर हो जाती है। इससे एसिडिटी, छाती में जलन और खट्टी डकारों की शिकायत भी दूर हो जाती है।
- कब्ज में एक-दो करेले के जूस में आवंला के चूर्ण को आधा कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम तथा दोपहर सेवन करने से कब्ज नष्ट हो जाती है।
- पीलिया और मलेरिया जैसे बुखार में करेले को पीसकर निकाले गए रस को दिन में दो बार पिलाना चाहिए।
- पीलिया में कच्चा करेला पीसकर खाना फायदेमंद है। लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है।
- जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
- लीवर को रखे निरोग अगर आपको लीवर की समस्या है तो फिर आप हर दिन एक ग्लास करेले का जूस पीएं। अगर आप एक हफ्ते तक ऐसा करेंगे तो परिणाम खुद नजर आने लगेंगे।
- खसरा होने पर दो चम्मच करेले के रस में एक चम्मच शहद और दो चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लेना फायदेमंद है।
- खसरा रोगी को करेला के पत्तों का 14-15 मिलीलीटर ताजा स्वरस में हल्दी को मिलाकर सुबह-शाम तथा दोपहर प्रयोग करने से खसरा रोगी को आराम मिलता है।
- एक कप पानी में दो चम्मच करेले का रस, तुलसी के पत्तों का रस और शहद मिलाकर रात में सोते समय पीने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में आराम मिलता है। दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
- कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
- करेले के सेवन से चेहरे के दाग-धब्बों, मुहांसों और स्किन इंफेक्शन से भी छुटकारा मिलता है।
- हर दिन खाली पेट में करेले के जूस को नींबू के साथ मिलाकर छह महीने तक पीएं। या फिर आप इसे तब तक जारी रखें जब तक कि आपको फायदा न पहुंचने लगे।
- करेला दिल के लिए कई मायनों में काफी फायदेमंद होता है। यह अर्टरी वॉल पर इकठ्ठा होने वाले खराब कोलेस्ट्रोल को कम करता है, जिससे हॉर्ट अटैक का खतरा काफी कम हो जाता है। साथ ही यह ब्लड सूगर लेवल को भी कम करता है, जिससे दिल तंदुरुस्त बना रहता है
मासिक धर्म में करेला रस के फायदे (Benefits of bitter gourd juice during menstruation) :-
- मासिक धर्म में करेला के पत्तों के 14-15 मिलीलीटर रस में सौंठ काली मिर्च और पीपल का चूर्ण बुरक कर दिन में दो तीन बार पिलाने से मासिक धर्म शुद्ध हो जाता है।
यौन शक्ति में करेला के फायदे (Benefits of bitter gourd in sexual power) :-
- स्तम्भन शक्ति (शीघ्र पतन) में करेला के पत्ते और फलों के रस को आग में खुश्क कर 3-4 ग्राम की गोलियां बना लें, इसमें 1 गोली गाय का दूध के साथ पीकर ऊपर से निगल जायें, इसके बाद थोड़ी सी मधु चाट लें, इसके प्रयोग से रति शक्ति और स्तंम्भन शक्ति में बहुत वृद्धि होती हैं।
- मधुमेह की बीमारी में करेले के अधिक सेवन से रक्तचाप (Blood Pressure) का स्तर अधिक कम हो सकता है।
- करेले के अधिक सेवन से गर्भवती महिलायों के गर्भ को हानि हो सकती है।
- करेले का अधिक सेवन करने से जिगर (Liver) में सूजन की समस्या हो सकती है।
- बच्चों को करेले का सेवन कराने से वमन (Vomiting) व दस्त (Diarrhea) जैसी समस्या हो सकती हैं।
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