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    सभी समस्या को जड़ से मिटाए 'पत्थरचट्टा का पौधा' जानिए इसके औषधीय गुण


    पत्थरचट्टा एक प्रकार का पौधा होता है। पथरचटा या पथरचट्टा वानस्पतिक नाम - ब्रायोफिलम पिनाटम (Kalanchoe pinnata या Bryophyllum calycinum या Bryophyllum pinnatum) यह एक सपुष्पक पादप है जो भारत के सभी राज्यों में पाया जाता है। माडागास्कर को इसका उत्पत्तिस्थल बताया जाता है। इसके पत्तों के किनारों से नया पौधा निकलता है। यह पथरी तथा अन्य बहुत सी बीमारियों में उपयोगी है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई औषधीय गुण होते हैं और ये किड़नी में पथरी की समस्या को खत्म करने में बेहद कारगर होता है। ये पौधा खाने में खट्टा, नमकीन और स्वादिष्ट होता है, इसलिए इसका उपयोग व सेवन कई प्रकार से किया जा सकता है, जैसे आप चाहे तो इसकी सब्जी भी बना सकते हैं।
    आयुर्वेद में पत्थरचट्टा के पौधे को भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणपुट्टी के नाम से भी जाना जाता है। आप चाहे तो इसे घर में भी उगा सकते हैं।

    पत्‍थरचट्टा की पौधा संरचना (Patharchatta Plant structure) :-
    एयर प्‍लांट एक लंबा, सीधा और बारहमासी पौधा होता है जो लगभग 1-2 मीटर तक लंबा होता है। यह एक जड़ी बूटी है जो आमतौर पर भारत के सभी घरों में घरेलू पौधे के रूप में मौजूद रहता है। इसके पत्‍ते विभिन्‍न औषधीय उपयोग के लिए जाने जाते हैं। इस पौधे के तने खोखले होते हैं जिनका रंग हरा या लाल होता है। इस पौधे की छाल मोटी, चमकदार और रसीली होती है।
    इसकी पत्तियां 5-25 सेमी. लंबी और 2-12 सेमी. चौड़ी होती है। इस पौधे की शाखाओं में 6-7 पत्‍ते होते हैं। इसकी एक विशेषता यह है कि इसके पत्‍ते गीली जमीन पर अलग से नये पौधे को जन्‍म दे सकती हैं। इसके फूलों का रंग हरा-पीला या गुलाबी हो सकता है। ये फूल सर्दी और बसंत के मौसम में फूलते हैं। इसके फल झिल्‍लीदार आवरण से ढके रहते हैं, जिनमें चार भाग होते हैं, ये बीज आकार में छोटे होते हैं जो फूल के आंतरिक भाग में लगे होते हैं। इस पौधे का प्रजनन पत्तियों या बीज से होता है।
    पत्‍थरचट्टा के पोषक तत्‍व (Nutrients of Patharchatta) :– 
    इस घरेलू पौधे के पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्‍सा में उपयोग किया जाता है। पथरचटा में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटीमिक्राबियल, एंटीफंगल, एंटीहिस्‍टामाइन और एनाफिलेक्टिक गुण होते हैं जो कि लगभग सभी प्रकार की बीमारियों को कम करने में मदद करते हैं।

    आइए, जानते हैं पत्थरचट्टा के पौधे को इस्तेमाल करने का तरीका और इससे होने वाले फायदे

    पथरी के इलाज में पत्थरचट्टा के लाभ (Benefits of Patharchatta  in treating stones) :-

    • पत्थरचट्टा के दो पत्तों का तोड़कर उन्हें पानी से अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर सुबह-सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ इनका सेवन करें। ऐसा नियमित करने पर पथरी की समस्या से राहत मिलती है।
    • अगर पित्ताशय में पथरी हो, तो अजवायन के 10 पत्तों और पथरचटा के 10 पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इसमें एक चम्मच गोखरू (यह आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगा) को मिलाकर सुबह-सुबह खाली पेट लें। ऐसा लगातार तीन दिनों तक करें। हालांकि इसके सेवन के बाद दस्त और उल्टियां भी लग सकती हैं लेकिन चिंता न करें। दिन में तीन बार पथरचट्टा के पत्तों का भी सेवन कर सकते हैं।

    फोड़ों के इलाज में पत्थरचट्टा के फायदे (Benefits of Patharchatta for Treating boils) :-

    • इस आयुर्वेदिक औषधी पथरचटा के फायदे फोड़ों का उपचार करने के लिए चमत्‍कारिक है। पत्थरचट्टा के पत्तों को तोड़कर इन्‍हें हल्‍का गर्म करने के बाद फोड़े और सूजन वाली जगह पर रखकर बांधलें। यह आपकी सूजन को कम करने के साथ ही फोड़ों का उपचार करने में मदद करता है।

    पथरचटा के गुण योनि समस्‍याओं के लिए (Benefits of Patharchatta for Vaginal problems) :-

    • अगर महिलाओं को योनि स्राव का अनुभव होता है तो तुरंत राहत पाने के लिए आप पत्थरचट्टा के पत्तों का उपयोग कर सकतीं हैं। इसके लिए आपको पत्थरचट्टा के पत्तों का 40-60 मिली ग्राम काढ़े (Decoction) के साथ 2 ग्राम शहद को मिलाकर सेवन करें। इस मिश्रण का उपयोग आपको दिन में दो बार करना चाहिए।

    सिर दर्द के लिए पत्‍थरचट्टा के लाभ (Patharchatta for Treats Headache) :-

    • एयर प्‍लांट या पत्‍थरचट्टा के फायदे उन लोगों के लिए भी होते हैं जो अक्‍सर सिरदर्द की समस्‍याओं से ग्रसित रहते हैं। पथरचटा की पत्तियों से आप अपने सिरदर्द का उपचार कर सकते हैं। इस पौधे की पत्तियों को तोड़ें और उन्‍हें माथे पर चिपकाएं। यह आपके लिए किसी दवा से कम नहीं है। ऐसा करने से आपको सिरदर्द से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
    पत्थरचट्टा का पेड़ घावों को ठीक करे  (Benefits of Patharchatta in Heal wounds) :-

    • यदि आपके शरीर के किसी भी अंग में कोई घाव है तो आप पत्‍थरचट्टा का उपयोग करके इन घावों का उपचार कर सकते हैं। आप इसकी पत्तियों को तोड़कर इन्‍हें पीस लें और हल्‍की आंच में गर्म करें। फिर इस मिश्रण को फोड़ों के ऊपर लगाएं। यह जड़ी बूटी घावों को ठीक करने के साथ साथ उनके निशानों को भी दूर करने में आपकी मदद करेगी।

    पत्‍थरचट्टा का उपयोग खूनी दस्‍त मे (Patharchatta Treat Bleeding Diarrhea) :-

    • पत्थरचट्टा का पेड़ (ब्रायोफिलम पिनाटम) का उपयोग कर आप दस्‍त के सा‍थ आने वाले खून को रोक सकते हैं। यह पत्‍थरचट्टा के फायदों में से एक है। आप पत्थरचट्टा का पेड़ की पत्तियों के 3-6 ग्राम जूस के साथ जीरा और घी मिलाकर रोगी को रोजाना दो बार पिलाएं। यह दस्‍त के साथ आने वाले खून को रोकने में मदद करता है।
    हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए पथरचटा का इस्तेमाल (Patharchatta Helps Heart health) :-

    • इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के फायदे दिल को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए भी जाने जाते है। यह आपके शरीर के सबसे महत्‍वपूर्ण अंग दिल को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

    (और पढ़े – हार्ट अटेक के आयुर्वेदिक इलाज…)

    मूत्र संबंधी विकारों के लिए पत्‍थरचट्टा के फायदे (Patharchatta Useful for Urinary problems) :-

    • प्‍यास और मूत्र (thirst and urine) से सं‍बंधित परेशानियों को दूर करने के लिए पथरचटा के पत्‍तों का 5 मिली लीटर रस दें। यह इस समस्‍या का प्रभावी रूप से इलाज करने में मदद करता है। पुरुषों में मूत्र संबंधी विकार के मामले में पत्‍थरचट्टा के 40 – 60 ग्राम काढ़ें के साथ 2 ग्राम शहद मिला कर सेवन करना चाहिए। ऐसी स्थिति में इस मिश्रण को दिन में दो बार लेना चाहिए।
    • एक गिलास पानी में पथरचटा के 10 पत्तों को उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े का रोज सुबह खाली पेट सेवन करें। ऐसा नियमित 5 दिनों तक करने से मूत्र संबंधी सभी रोगों से राहत मिलेगी।

    दांत दर्द के लिए पत्‍थरचट्टा का उपयोग  (Patharchatta Useful for Toothache) :-

    • दांतों के दर्द को ठीक करने के लिए पत्‍थरचट्टा को पारंपरिक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। पत्‍थरचट्टा में एंटी-वायरस और एंटी-बैक्‍टीरिया (anti-bacterial) गुण होते हैं जो आपके दांतों के दर्द को दूर करने में मदद करते हैं।
    (और पढ़े – दांत दर्द व हिलने को ठीक करने के घरेलू उपाय…)

    पत्‍थरचट्टा के घरेलू उपयोग बुखार के लिए  (Patharchatta Useful for Fever in) :-
    • पत्‍थरचट्टा के एंटीप्रियेटिक (Antipyretic) गुणों के कारण यह बुखार का इलाज करने में मदद करता है। बुखार एक शर्त के साथ शारीरिक तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के ऊपर होने पर होता है। यह वायरस और बैक्‍टीरिया के विरूध शरीर की रक्षा करता है। इन पत्तियों के रस का सेवन करने से बुखार को कम किया जा सकता है।
    गर्भावस्‍था में पत्‍थरचट्टा के फायदे (Patharchatta Benefits for Pregnancy) :-

    • कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि पत्‍थरचट्टा के पत्‍ते गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होते हैं। जानवरों पर किये गए अध्‍ययन से यह साबित होता है कि यह गर्भावस्‍था के समय इन पत्तियों का काढ़ा पीने से यह वजन को बढ़ने से रोकता है और मां और उसक भ्रूण को कोई भी नुकसान नही पहुंचाता है। गर्भावस्‍था के समय महिलाओं द्वारा इन पत्तियों के रस का सेवन करने से नींद संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में मदद मिलती है।
    पत्‍थरचट्टा के गुण बालों के लिए लाभकारी (Patharchatta Properties beneficial to hair) :-

    • कुछ लोगों का मानना है कि पत्‍थरचट्टा के फायदे बालों को स्‍वस्‍थ्‍य बनाते हैं और उन्‍हें प्राकृतिक रंग दिलाने में मदद करते हैं। हालाकि इसके अभी तक कोई भी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं की गई है। फिर भी कुछ लोगों का दावा है कि इस पौधे की पत्तियों के रस का उपयोग बालों पर करने से यह उन्‍हें भूरे रंग से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। आप भी इस आयुर्वेदिक औषधी का उपयोग कर लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।
    अस्‍थमा के लिए पत्‍थरचट्टा के फायदे (Miracle Leaf for Asthma) :-

    • कई अध्‍ययनों से पता चलता है कि पत्‍थरचट्टा में एंटी-अस्‍थमा गुण होते हैं। पत्‍थरचट्टा में एंटीमाइक्रोबायल एजेंट होते हैं जो अस्‍थमा के इलाज में मदद करते हैं। यदि आप अस्‍थमा रोग से परेशान हैं तो आप पत्‍थरचट्टा का उपयोग कर सकते हैं, यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

    मधुमेह के लिए पत्थरचट्टा के पत्तों के फायदे (Patharchatta Helpful for Diabetics) :-

    • पत्थरचट्टा (Bryophyllum pinnatum) की पत्तियों का उपयोग कर आप मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं। मधुमेह रोगी को प्रतिदिन दो बार पत्थरचट्टा के पत्तों के काढ़े का सेवन करना चाहिए। यह आपके शरीर में रक्‍तशर्करा के स्‍तर को कम करने में मदद करता है।

    पत्‍थरचट्टा के उपयोग कब्‍ज को दूर करे (Leaf of Patharchatta for Constipation) :-

    • कब्‍ज को दूर करने के लिए पत्‍थरचट्टा के पत्‍तों का उपयोग बहुत ही फायदेमंद होता है। आप इसके लिए पत्‍थरचट्टा के सूखे पत्‍तों की चाय का सेवन कर सकते हैं। यह आपको कब्‍ज से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा ।
    • पत्थरचट्टा के रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पेट में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।

    खून को साफ करने में पत्‍थरचट्टा के फायदे (Patharchatta for Purifies Blood) :-

    • इस जड़ी बूटी में खून को साफ करने वाले गुण होते हैं, जो शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को हटाने में मदद करता है। खून मे अशुद्धियां होने के कारण त्‍वचा संबंधी बहुत सी परेशानियां हो सकती है। ऐसी परेशानियों से बचने के लिए आप पत्‍थरचट्टा का उपयोग कर सकते हैं। यह आपके रक्‍त को साफ कर आपके शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने में मदद करता है।

    पत्‍थरचट्टा के नुकसान (साइड इफेक्ट्स)  (Patharchatta Side effects) :-
    ऊपर आपने जाना पत्‍थरचट्टा के फायदों के बारे में, अभी तक ज्ञात अध्‍ययनों के आधार पर पत्‍थरचट्टा के किसी भी गंभीर नुकसान की जानकारी नहीं है। लेंकिन फिर भी कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए

    • आप किसी भी प्रकार की चिकित्‍सकीय दवाओं का सेवन कर रहें हैं मुख्‍य रूप से एस्प्रिन या अन्‍य दवाएं तो हो सकता है ऐसे में पत्‍थरचट्टा का सेवन करना इन दवाओं के असर को कम या बढ़ा दे, इसलिए ऐसी किसी भी समस्‍या से बचने के‍ लिए इलाज के दौरान या बिना पूर्ण जानकारी के पत्‍थरचट्टा का सेवन करने से बचें।
    • इस औषधि का सेवन करते समय चूना, बिना साफ किये हुए फल और अधिक चावल आदि का सेवन न करें। इसके अलावा अगर आपको कोई भी अन्य सेहत समस्या है, व किसी अन्य बीमारी का इलाज व दवाइयां चल रही हो, तो इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर से परार्मश जरूर कर लें।

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