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    बबूल के आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में उपयोग व अन्य घरेलू नुस्खे --


    बबूल ( कीकर ) वानस्पतिक नाम : आकास्या नीलोतिका (Acacia nilotica)अकैसिया प्रजाति का एक वृक्ष है। यह अफ्रीका महाद्वीप एवं भारतीय उपमहाद्वीप का मूल वृक्ष है।

    यह वृक्ष भारत के प्रायः सभी प्रांतों में जंगली अवस्था में अधिकता से पाया जाता है । गरम प्रदेश और रेतीलौ जमीन में यह बहुत अच्छी तरह और अधिकता से होता है । कहीं कहीं यह वृक्ष सौ वर्ष तक रहता है । इसमें छोठी छोटी पत्तियाँ, सुई के बराबर काँटे और पीले रंग के छोटे छोटे फूल होते हैं । इसके अनेक भेद होते हैं जिनमें कुछ तो छोटी छोटी कँटीली बैलें हैं और बाकी बड़े बड़े वृक्ष । कुछ जातियों के बबूल तो बागों आदि में शोभा के लिये लगाए जाते हैं । पर अधिकांश से इमारत और खेती के कामों के लिये बहुत अच्छी लकड़ी निकलती है । इसकी लकड़ी बहुत मजबूत और भारी होती है

    बबूल का पेड़ Babool Tree खुले सूखे इलाकों में बहुत पाया जाता है। इसे कीकर Keekar के नाम से भी जाना जाता है। बबूल को बंगाली में बबूल गाछ , मराठी में बाभुल , गुजराती में बाबूल , और पंजाबी में बाबला के नाम से जाना जाता है। इंग्लिश में बबूल का नाम अकेशिया अरेबिका Acacia arabica है ।

    बबूल की धार्मिक महत्व (Religious Importance of Acacia) :-
    पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस पेड़ में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है।प्राचीन समय में इस पेड की पुजा की जाती थी । इस पेड़ को काटना महापाप माना जाता है। जिस जगह यह पेड होता है वह जगह अत्यंत शुभ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में यह पेड़ पाया जाता है कि वह घर हमेशा धन धान्य से परिपूर्ण रहता है।

    बबूल का गोद औषधीय गुणों से भरपूर होता है तथा अनेक रोगों के उपचार में काम आता है बबूल की हरी पतली टहनियां दातून के काम आती हैं।बबूल का गोद उतम कोटि का होता है जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है तथा सेकडो रोगों के उपचार में काम आता है ।बबूल की दातुन दांतों को स्वच्छ और स्वस्थ रखती है। बबूल की लकड़ी का कोयला भी अच्छा होता है। हमारे यहां दो तरह के बबूल अधिकतर पाए और उगाये जाते हैं। एक देशी बबूल जो देर से होता है और दूसरा मासकीट नामक बबूल. बबूल लगा कर पानी के कटाव को रोका जा सकता है। जब रेगिस्तान अच्छी भूमि की ओर फैलने लगता है, तब बबूल के जगंल लगा कर रेगिस्तान के इस आक्रमण को रोका जा सकता है।

    बबूल के प्रचलित नाम (Acacia nickname) :-
    बबूल का पेड़ Babool Tree खुले सूखे इलाकों में बहुत पाया जाता है। इसे कीकर Keekar के नाम से भी जाना जाता है। बबूल को बंगाली में बबूल गाछ , मराठी में बाभुल , गुजराती में बाबूल , और पंजाबी में बाबला के नाम से जाना जाता है। इंग्लिश में बबूल का नाम अकेशिया अरेबिका Acacia arabica है ।

    पुरानी कहावत (Old saying) :-
    "बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय"
    साहित्य में प्रचलित इस मुहावरे को सुनकर लगता है कि बबूल यानी अनुपयोगी वृक्ष और आम अर्थात् महत्त्वपूर्ण वृक्ष| पर सत्य यह है कि जब हमने बबूल बोया है तो आम की कल्पना भी क्यों करना| बबूल में जो औषधीय गुण हैं वे आम में कहाँ हैं? और जो आम का स्वाद है वह बबूल में नहीं है| अतः यह तुलना अप्रासंगिक है क्योंकि जिस वनस्पति में जो दिव्यता है हमको उसकी बात करनी चाहिए

    बबूल के पेड़ की संरचना (Acacia tree structure) :-

    यह पेड़ हमेशा हरा रहता है। इसमें लम्बे और मजबूत दो दो कांटे एक साथ लगे होते हैं।
    पत्ते :- इसकी पत्तियां इमली या आँवले के पेड़ की पत्ती जैसी होती हैं। बबूल की पत्तियां बकरी , भेड़ के लिए अच्छा आहार होती हैं।
    फल :- बबूल के पेड़ में चैत्र महीने में फलियाँ आती हैं जो लगभग आधा इंच चौड़ी , 3 से 6 इंच लम्बी , चपटी और टेढ़ी होती हैं। इन फलियों में 8 से 12 बीज होते हैं।
    फूल :- अगस्त सितम्बर में इसमें पीले रंग के गोल फूल लगते हैं। खरोंच लगने पर इसके तने से गोंद निकलता है जो अच्छी गुणवत्ता का और बहुत लाभदायक होता है।
    लकड़ी :- बबूल की लकड़ी बहुत मजबूत होती है और खेती के औजार बनाने में काम आती है। इसका कोयला बहुत उच्च गुणवत्ता का होता है।

    बबुल में पोषक तत्व (Nutrients in Acacia) :-
    बबूल की छाल , पत्ते , फली , फूल और गोंद सभी में औषधीय गुण होते हैं। इनमे कई प्रकार के तत्व तथा गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद की कई दवाओं में इनका उपयोग किया जाता है। बबुल में पोषक तत्व , विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। 100 ग्राम बबुल में 4.28 मिलीग्राम आयरन, 0.902 मिलीग्राम मैग्नीज, 13.92 ग्राम प्रोटीन, 6.63 ग्राम वसा और 0.256 मिलीग्राम जस्ता होता है।
    रासायनिक संगठन की दृष्टि से फली में 12 से लेकर 20 प्रतिशत टेनिन पाया जाता है। छाल में 7 से 12 प्रतिशत कषाय रस (कड़वा) प्रधान रसायन होते हैं। सामान्य तौर पर व्यवसायिक दृष्टि से बबूल का गोंद मार्च से मई माह के मध्य इकट्ठा किया जाता है । यह गोंद पानी में घुलनशील होता है। इसमें गेलेक्टो अरेबन (Galactoaraban) होता है। इसे जलाने पर 1.8 % राख प्राप्त होती है ।

    बबूल के आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग (Acacia Uses in Ayurvedic Medicines) :-
    इनमे कई प्रकार के लाभदायक तत्व तथा एंटीफंगल , एंटीमाइक्रोबायल जैसे गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद की कई दवाओं में इनका उपयोग किया जाता है।

    हड्डी टूटने पर बबूल के फायदे (Benefits of Acacia on fracture) :-
    • बबूल के पंचांग का चूर्ण एक चम्मच शहद और बकरी के दूध के साथ लेने से टूटी हुई हड्डी जुड़ती है।
    • बबूल के बीज पीसकर तीन दिन शहद के साथ लेने से अस्थिभंग दूर होता है।
    • बबूल की फली का चूर्ण एक चम्मच सुबह शाम लेने से टूटी हड्डी जल्दी जुडती है। यह अर्थराइटिस में भी बहुत लाभदायक है।
    यौन कमजोरी में बबूल उपयोगी (Acacia is useful in sexual weakness) :-
    • बबूल का गोंद 100 ग्राम भूनकर पीस लें।  इसमें 50 ग्राम असगंध पाउडर मिला लें। इसमें से एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम को गर्म दूध के साथ लें। इससे शुक्राणु मजबूत होते हैं और यौन शक्ति में बढ़ोतरी होती है, वीर्य की कमजोरी दूर होती है। 
    • बबूल का पंचांग पीस कर मिश्री मिलाकर सुबह शाम लेने से वीर्य रोग में लाभ होता है।
    • बबूल का गोंद घी में तलकर पकवान बनकर सेवन करने से ताकत बढती है।
    मासिक धर्म के लिए बबूल (Acacia for Menstrual problem) :-
    • 100 ग्राम बबूल का गोंद कढ़ाई में भून कर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चम्मच लें। इसमें 2 चम्मच मिश्री मिलाकर सेवन करें। इससे माहवारी के समय की पीड़ा नष्ट होती है तथा मासिक नियमित होता है।
    • बबूल की छाल 20 ग्राम लेकर एक गिलास पानी में उबालें। एक कप रह जाये तब ठंडा होने पर पियें। इस तरह दिन में तीन बार लेने से मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव होना बंद होता है।
    • बबूल की छाल के काढ़े में फिटकरी मिलाकर योनी में पिचकारी देने से योनिमार्ग शुद्ध होता है और योनी टाइट होती है।
    दाँतों के लिए बबूल बहुत उपयोगी (Acacia very useful for teeth) :-
    • बबूल की कोमल टहनी की दातुन लम्बे समय से उपयोग में ली जा रही है , इससे दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं तथा कई प्रकार के रोगों से बचाव होता है।
    • बबूल की फली के छिलके और बादाम के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं।  दातों की समस्या दूर रहती है।
    • रोज़ इस पेड़ की ताजा छाल को चबाने से, ढीले दांतों को मजबूत करने और मसूड़ों से बह रहे खून को रोकने में मदद मिलती है। गंदे दांतों को इसके पाउडर के साथ ब्रश करने से साफ किया जा सकता है। इस पाउडर को बनाने के लिए 60 ग्राम बबूल की लकड़ी का कोयला, 24 ग्राम भुनी हुई फिटकरी और 12 ग्राम सेंधा नमक उपयोग किया जाता है। 
    मुंह के रोगों के लिए बबूल (Acacia for oral diseases) :-
    • बबूल , जामुन और फूली हुई फिटकरी का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के सभी रोग ठीक होते है।
    • बबुल की छाल को पीस कर पानी में उबाल लें।  इससे कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
    • बबूल के गोंद के टुकड़े चूसने से मुँह के छाले ठीक होते हैं।
    • बबूल की मुलायम पत्तियां पीसकर पानी में मिलाकर पीने से गर्मी या सर्दी के छाले , जीभ सुखना , जीभ पर दाने होना ठीक होता है।
    दस्त में बबूल का उपयोग (Acacia use in diarrhea) :-
    • बबूल के 10 -12 कोमल पत्तों के रस में मिश्री और शहद मिलाकर लेने से दस्त ठीक होते हैं।
    • बबूल की पत्तियों का रस छाछ में मिलाकर पीने से दस्त बंद होते हैं।
    • बबूल के पत्ते चीनी के साथ पीसकर लेने से दस्त के साथ आंव आनी भी बंद होती है।
    • बबूल के पेड़ के विभिन्न भाग अपनी शक्ति के कारण दस्त में उपयोगी होते हैं। सफेद और काले जीरे के साथ, इसकी कोमल पत्तियों के बराबर भाग का मिश्रण 12 ग्राम की खुराक के रूप में लिया जाता है। दैनिक रूप से तीन बार इस मिश्रण का सेवन करें। इसकी छाल से बने अर्क को भी दिन में तीन बार लिया जा सकता है। यह दस्त के लिए प्रभावी दवा है।
    आँखों के लिए बबूल का प्रयोग (Use of Acacia for eyes) :-
    • आंख आने को नेत्रश्लेष्मलाशोथ या कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक असहज और परेशान करने वाली स्थिति होती है। लेकिन कंजंक्टिवाइटिस के उपचार में कीकर के पेड़ के पत्ते बहुत लाभकारी होते हैं। इन पत्तियों से एक पेस्ट तैयार करें और रात में प्रभावित आँखों पर लगाएं। यह दर्द और लालिमा को हटा देता है। 
    • एपिफॉरा (Epiphora - आँखों में आँसू इकट्ठा होने का रोग) के उपचार के लिए बबुल के पेड़ के पत्ते लाभकारी होते हैं। इस रोग में आँसू, आँखों की जल निकासी प्रणाली (Tear Drainage System) की असामान्यता के कारण बहते हैं। लगभग 250 ग्राम पत्तियों को एक लीटर पानी में लगभग एक चौथाई लीटर पानी बाकी रहने तक उबालें। इसके बाद इसे अच्छे से छान कर रख लें। अब इस तरल को आँखों के ऊपर पलकों पर सुबह और शाम उपयोग करें।
    • बबूल के पत्ते पीसकर टिकिया बनाकर सोते समय आँख पर लगाकर सोने से आँख का दर्द , लाल होने और जलन मिटती है। आँख आने पर इससे बहुत लाभ होता है।
    बिस्तर में पेशाब के लिए बबूल (Acacia for bed urin) :-
    • बबूल की कच्ची फलियाँ छाया में सुखाकर पीस लें , इन्हें घी में थोडा भून लें। इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिला लें। इसमें से आधा आधा चम्मच सुबह शाम गर्म दूध के साथ लेने से बिस्तर में पेशाब होना बंद होता है।
    गले के लिए बबूल का उपयोग (Acacia use for throat) :-
    • बबूल के पत्ते , बबूल की छाल और बरगद की छाल बराबर मात्रा में एक गिलास पानी में भिगो दें। इससे कुल्ले करने से गले के सभी रोग मिटते हैं।
    • बबूल की छाल को पानी में उबल कर गरारे करने से गले की खराश व् सूजन मिटती है।
    खूनी दस्त में बबूल का उपयोग (Acacia use in bloody diarrhea) :-
    • बबूल की कोमल हरी पत्तियों के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर 2 -3 बार पीने से खुनी दस्त बंद होते हैं।
    • 10 ग्राम बबूल का गोंद आधा कप पानी में घोल लें। छानकर पीने से दस्त और खुनी दस्त दोनों में लाभ होता है।
    पीलिया में बबूल फयदेमंद (Acacia beneficial in jaundice) :-
    • बबूल के फूल मिश्री के साथ पीस कर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण एक एक चम्मच सुबह शाम लें। इससे पीलिया रोग ठीक होने में मदद मिलती है।
    कमर दर्द में बबूल फयदेमंद (Acacia beneficial in back pain) :-
    • बबूल की छाल , फली और गोंद बराबर मात्र में लेकर पीस लें। एक चम्मच दिन में तीन बार लें। इससे कमर दर्द में बहुत आराम मिलता है।
    सुजाक व पेशाब जलन में बबूल (Acacia is beneficial in sujak and urination) :-
    • बबूल की 20 पत्तियां 1 गिलास पानी में रात को भिगो दें।  सुबह छान कर पिए। इससे सुजाक रोग और पेशाब की जलन में आराम मिलता है।
    • 30 ग्राम बबूल की मुलायम पत्तियां रात को पानी में भिगो दें ,सुबह मसलकर छान लें। इसमें गर्म घी मिलाकर पियें। इसी तरह दूसरे दिन भी लें। तीसरे दिन से इसे बिना घी डाले सात दिन तक लें। इस प्रयोग से सुजाक रोग में बहुत लाभ होता है।
    बबूल घाव भरने में लाभकारी (Acacia is beneficial in wound healing) :-
    • बबुल के पत्तों को घाव भरने के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। बबुल के पत्ते और छाल में रक्तस्राव और संक्रमण को नियंत्रित करने की क्षमता होती है, जिससे घावों, कट्स और चोटों को ठीक किया जा सकता है। 
    बबूल के लाभ बालों के स्वास्थ्य के लिए (Benefits of Acacia for hair health) :-
    • बबुल के पत्ते बालों के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। बालों का झड़ना नियंत्रित करने के लिए, खोपड़ी पर बबूल के पत्तों का पेस्ट लगाएं। अच्छे परिणाम के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले शैम्पू के साथ 30 मिनट के बाद बाल धो लें। हमेशा अपने बालों को धोने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करें। 
    बबूल से एक्जिमा का इलाज  (Eczema treatment with Acacia) :-
    • एक्जिमा के उपचार में बबूल के पेड़ की छाल उपयोगी होती है। 25 ग्राम बबूल की छाल और 25 ग्राम आम की छाल को लगभग 1 लीटर पानी में उबालें और इसकी भाप से प्रभावित हिस्से को सेंकें। फोमेंटेशन के बाद, प्रभावित भाग को घी के साथ मालिश करनी चाहिए। 
    (और पढ़ें - एक्जिमा व दाद खाज का घरेलू उपाय)

    बबूल त्वचा के लिए फयदेमंद (Acacia beneficial for the skin) :-

    • खुजली और ड्राईनेस से छुटकारा पाने के लिए बबूल के पत्ते और छाल फायदेमंद होते हैं। सर्दियों के दौरान त्वचा का ड्राई होना एक बड़ी समस्या होती है। खुजली वाली जगह में बबूल के पेस्ट को लगाने से, आपको राहत मिलती है। इसके सूजन को कम करने वाले गुणों के कारण, यह अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए भी अच्छे होते हैं। इसके अलावा बबूल का प्रयोग युवा दिखने के लिए भी फायदेमंद है। यह त्वचा को पोषित करता है। यह कॉस्मेटिक कंपनियों द्वारा अस्ट्रिन्जन्ट और स्किन क्लीन्ज़र बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

    बबूल के नुकसान (Acacia Side Effects) :-

    • कब्ज में बबूल का उपयोग करना लाभकारी नहीं होता है। 
    • बहुत कम मामलों में, बबूल की गोंद से एलर्जी हो सकती है। इस एलर्जी से आपको श्वसन और त्वचा की समस्या हो सकती है। 
    • अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से लिवर और गुर्दे को भी नुकसान पहुंच सकता है। (और पढ़ें - लिवर रोग के लक्षण)



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